________________ [2] सेठियाजैनग्रंथमाला करने वाला नीच है / उच्च बनने के लिये नीच कार्यों को छोड़ना इतना आवश्यक है, जितना भूख मिटाने के लिये भोजन करना। 16 तुम्हें जैसा बनना हो,वैसी संगति करो। मूखों दुराचारियों और अधार्मिकों की संगति करके क्या मूर्ख दुराचारी और पापी बनना है? नहीं, तो विद्वानों सदाचारियों और धर्मात्माओं का संग करो। 20 इस बात का सदैव ध्यान रक्खो, कि तुम्हारी किसी भी प्रवृत्ति से दूसरों को दुख न हो। 21 धर्म संसार के भीषण दुःखों से छुड़ाने वाला है। धर्म के लिये यदि सर्वस्व- अर्पण करना पड़े, तो प्रसन्नता से करो, पर उसका परित्याग न करो। संसार में बहुत धर्म प्रचलित हैं , उन में से सच्चे धर्म की जांच करने के लिये अहिंसा अचूक कसोटी है। परीक्षा कर देखो।