________________ हिन्दी बाल-शिक्षा (35) निर्णय कर सकते हैं। वास्तव में कर्तव्य बजाते समय शत्रु और मित्र का भाव न होना चाहिए / कर्तव्य-पालन में शत्रु मित्र की भेदबुद्धि एक बड़ी बाधा है। इस बाधा के होते हुए हम आदर्श कर्त्तव्यपरायणा नहीं हो सकते / जैसे सूर्य अच्छे और बुरे दोनों तरह के आदमियों को समानता से प्रकाश पहुँचाता है / तैसे ही कर्तव्यनिष्ठ मनुष्य शत्रु मित्र का विचार न करके प्राणीमात्र की भलाई के लिए अपना जीवन अर्पण कर देते हैं। ऐसा करने वाले त्यागी महापुरुष जगत् में सबके सम्माननीय होते हैं। पाठ 14 स्वास्थ्यरक्षा (अजीर्ण.) अजीर्ण एक साधारण रोग समझा जाता है, परन्तु अधिक विचार से मालूम होता है कि अजीण ही सब रोगों का बीज है / यह बात न समझने ही के कारण आजकल घर 2 अजीर्ण रोग के रोगी पाये जाते हैं। प्रथम तो अजीर्ण होने का मौका ही न आना चाहिए, यदि प्रसावधानी से कभी हो भी जाय, तो शीघ्र चिकित्सा करानी चाहिए / यदि चिकित्सा करने में ढील हो जाय तो यह बड़ा प्रवल रूप धारण कर लेता है , और अन्यान्य रोगों की उत्पत्ति का कारण होता है /