________________ सेठियाजैनप्रन्यमाना पाठ 2 विनय. . मगधदेश में राजगृह नामक एक नगर है। किसी समय यहां श्रेणिक राजा राज्य करता था। उसकी स्त्री का नाम चेलना था। उसी नगर में एक चाण्डाल रहता था। एक समय उसकी नर्मिणी स्त्री को श्राम खाने की साध हुई / उसने अपने पति से माम लाने को कहा / चाण्डाल ने कहा--"इस ऋतु में प्राम नहीं मिल सकते, कहां से लाऊं"। चाण्डाली ने उत्तर दिया"चेलना महारानी के उद्यान में सब ऋतुओं के फल फूल मौजूद है"चाण्डाल ने कहा-"वहां बड़ा कड़ा प्रबन्ध रहता है। फिर भी लाने का यत्न करूंगा”। इस के अनन्तर चाण्डाल रात के समय उद्यान में गया। उसे अवनामिनी और उन्नामिनी दो विद्याएं सिद्ध थीं / बस, उसने प्राकार के बाहर खड़े होकर अवनामिनी विद्या द्वारा प्राम के वृक्षों की डालियां नीचे झुका ली और पाम तोडकर चलता बमा ।जाते समय उन्नामिनी विद्या से डालियां ज्यों की त्यों ऊपर कर दी। इस प्रकार उसने अपनी पत्नी की इच्छा पूरी की। दूसरे दिन उद्यानरक्षक आम के पेड़ों को विना फल का देख राजा के पास गया और सारा वृतान्त कह सुनाया / राजा ने अपने मंत्री अभयकुमार को बुलाया और सब वृत्तान्त समझाकर कहा-"जिसमें ऐसी शक्ति है, वह रनवास में भी बेरोकटोक घुस सकता है / अतः एक सप्ताह के भीतर उसे पकड़ लाओ। मही तो चोर को तरह तुम्हें दण्ड दिया जायगा"। राजा की यह भीषण आहा सुन अभयकुमार को रात दिन नगर में चक्कर काटते.