________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (25) की ओर उन्मुख होना अशक्य है / और सम-भाव ही सामायिक है / इसका यह अर्थ हुआ कि मन को वश किये बिना निर्दोष सामायिक नहीं होसकती / अतः मन के दस दोषों से बचकर मन की शुद्धि-पूर्वक सामायिक करना चाहिए। ___ सामायिक में मन शुद्धि की जैसी आवश्यकता है, वैसी वचनशुद्धि की भी। मौन धारण करना सर्वश्रेष्ठ है। यदि वह न होसके, तो हितावह, प्रिय, कोमल और सत्य वचन ही बोलना चाहिए / सत्यासत्य-मिश्र, कपटयुक्त, वचन भी न बोलना चाहिए ।बचन के दस दोषों का परिहार करना अत्यावश्यक है। सामायिक में शरीर शुद्ध रखना भी आवश्यक है / क्योंकि बाह्याचार से अंतरंग की शुद्धि का स्मरण रहता है। दूसरे लोग "यह व्रतवान् है" ऐसा समझ सकते हैं / शरीर की शुद्धि के साथ वस्त्र उपकरण और स्थान की शुद्धि का निकट सम्बन्ध है। इसलिए ये सब शुद्ध होने चाहिए | गृहस्थों की अंतरंग शुद्धि बाह्य शुद्धि पर निर्भर है / यह बात लक्ष्य में रखकर शास्त्रोक्त सब क्रियाएं आचारणा में लानी चाहिए। पाठ 11 देशाटन (यात्रा). नीतिशास्त्रों में देशाटन का बड़ा महत्व है / सचमुच देशाटन करने से बहुतेरे लाभ होत हैं / जब हम देशाटन करें तो किसी प्रकार का स्वार्थ भले ही मुख्य हो, पर उससे होने वाले अन्य लाभों की ओर भी ध्यान रखना चाहिए / भिन्न 2 देशों में