________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (23) पाठ 10 सामायिक. पण्डितजी --- नुमतिलालः आज पाठशाला में देर से क्यों आये? सच बताओ.रास्ते में खेलने लगे थे? सुमति०-जी नहीं, घर से सीधा यहीं पारहा हूँ। आज अष्टमी थी,प्रातःकाल दो सामायिक की थीं इसी से इतनी अबेरहोगई है। पण्डितजी-बहुत ठीक / अच्छा यह बताओ, सामायिक क्या वस्तु है-सामायिक किसे कहते हैं ? सुमति०-एक जगह श्रासन विछाकर बैठ जाना मुखवस्त्रिका लगाकर बोलना, यदि कारणवश चलने का काम पड़े तो धरती देखभाल कर चलना, सामायिक कहलाता है। इस दशा में 48 मिनट तक रहना पड़ता है ! | ___ पण्डितजी-सुमतिलाल! तुमप्रतिदिन सामायिक करते हो, यह तो बड़ी अच्छी बात है। किन्तु सामायिक का स्वरूप समझकर कगे तो सोने में सुगंध हो जाय / असल बात तो यह है कि आसन जमाकर बैठने से ही सामायिक नहीं कहलाती / ___ सुमति०--- महाशय : आप ही सामायिक का स्वरूप बताने का अनुग्रह कोजिये / सामायिक किसे कहते हैं ? ___ पण्डितजी ने सब छात्रों की ओर लक्ष्य करके कहा-"विद्याथियो ! दोनों समय सामायिक करना दैनिक कर्त्तव्य है / यह शास्त्रों में आवश्यक कर्तव्य बतलाया गया है। आवश्यक कर्तव्य को रोज़ 2 अवश्य करना चाहिए / किन्तु जब तक उसके सच्चे स्वरूप को विदित न कर लिया जाय, तब तक उतना अधिक