________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा मिष्टभाषण भी अत्यन्त उपयोगी है / यदि हम उल्लिखित विषयों पर पूर्ण ध्यान रक्खें तो देशाटन में होने वाले बहुत से कष्टों से मुक्त हो सकते हैं। पाठ 12 भगवान् महावीर. उन सर्वज्ञ प्रभु महावीर के चरणों में नमस्कार हो, जिन्होंने संसार के प्राणियों को दुःखों के दलदल से निकाल कर अक्षय सुख के मार्ग में लगाया। ____प्यारे बालको ! यह संसार सदा से है और सदा रहेगा। इसका कभी नाश नहीं होता, परन्तु परिवर्तन सदा हुआ करता है / इस परिवर्तन के प्रभाव से कभी धर्म की उन्नति होती है, कमी पाप बढ़ता है / जब भगवान महावीर का जन्म हुआ, तब धर्म अनाथ-सा हो रहा था। अहा! वह समय बड़ा ही भयानक था / उसकी याद आते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वैदिकधर्म में सर्वत्र हत्याओं का दौरदौरा था / यज्ञ के निमित्त प्रतिदिन अनगिनते पशुतलवार के घाट उतारे जाते थे। वे दीन पशु रंभाते विल. विलाते पर कोई माई का लाल उनकी पुकार पर कान न देता था। वेचारे गरीब पशुओं के रक्त से यज्ञ की वेदी लथपथ होजाती थी / बड़े अचम्भे की बात है कि उस समय के हिन्दू इन पापकार्यों से देवी देवताओं का प्रसन्न होना मानते थे। इन सब पापों से पृथिवी काप उठी थी। सर्वत्र हाहाकार मच गया था। ऐसे समय में किसी महान् पुरुष की आवश्यकता