________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (19) ने उसका पीछा किया / इस समय केशरी अपने दुष्कृत्यों पर पछता रहा था / इतने में ही उसे एक जैन मुनि दृष्टिगोचर हुए / उनके पास जाकर उसने किये हुए पापों से छुटकारा पाने का उपाय पूछा / मुनि बोले- 'एक पुरुष यदि सौ वर्ष तक एक पैर से खड़ा होकर तपस्या करे, और दूसरा केवल एक सामायिक करे तो भी वह पहला मनुष्य दूसरे की बराबरी नहीं कर सकता / हे केशरी! तू सच जान कि सामायिक की महिमा अपरम्पार है"। मुनिराज के वचनामृत सुन केशरी ने तुरंत , सामायिक ले ली। वह विचारने लगा---'अहो ! मैं ने कुसंगति में पड़कर व्यर्थ ही पाप कर्म किये। मुझे धिक्कार है / इस तरह शुभ ध्यान में प्रारूढ़ होकर केवलज्ञान प्राप्त किया। / / __राजा, केशरी को समता और संयम की मूर्ति देखकर बड़ा श्राश्चर्यान्वित हुआ। राजा को चकित हुआ देख मुनिराज बोले-महाराज! आप विस्मित क्यों होते हैं / सामायिक का माहात्म्य ही ऐसा है कि अन्यायी और अनाचारी भी इससे अपना कल्याण कर सकता है। मुनिराज द्वारा की हुई सामायिक की प्रशंसा से प्रसन्न होकर राजा ने भी प्रतिदिन सामायिक करने की प्रतिक्षा लेली / केशरी ने अपने नाम को सार्थक कर दिखाया / उसने अपने आत्म-पराक्रम से सामायिक के द्वारा सम्पूर्ण कर्मों को नाशकर अनन्त सुखमय मुक्ति को प्राप्त किया। सचमुच सामायिक की महिमा अपार है।