________________ (18) सेठियाजैनप्रन्थमाला कुसंगति में पड़कर चोरी करने लगा। उसे चोरी करने का ऐसा चसका लगा कि उसका अत्याचार असह्य हो उठा / सब ने मिलकर राजा से फ़र्याद की। राजा ने उसे देशनिकाले का दंड दिया। ___केशरी रास्ते में जाता हुआ सोचने लगा-"अाज किसके घर चोरी करूंगा"। वह इस प्रकार सोचता विचारता चोरी की फिराक में घूमता हुआ किसी सरोवर के तीर पहुँचा / वहां किनारे के पेड़ पर चढ़कर इधर उधर दृष्टि दौड़ाने लगा। इतने में एक सिद्ध पुरुष आकाश से उतर कर, खड़ाऊँ किनारे पर उतार तालाब में स्नान करने लगे। मानो बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा / केशरी इसे अचूक मौका समझ कर खड़ाऊँ पहिनकर आकाश मार्ग से अपने शहर में आगया / खड़ाऊँ हाथ लगने से उसे बदला लेने का अच्छा अवसर मिला / अब वह लोगों का सर्वस्व चुराकर भीषण उपद्रव मचाने लगा। इतने से उसकी भूख न बुझी तो रनवास में घुसकर वहां भी हाथ साफ़ करने लगा / राजा ने बहुत उपाय किये पर सब निष्फल सिद्ध हुए- अकारथ गये / . एक दिन राजा हाथ में नंगी तलवार लेकर चोर की तलाश में निकला / जंगल में, पूजा से प्रसन्न हुई चण्डिका को देखकर चोर के आने की संभावना देख राजा वहीं छुप रहा। इतने में चोर आया और देवी को दंडवत करके बोला"हे देवी! यदि आज ज्यादा धन की प्राप्ति होगी तो तेरी विशेष पूजा करूंगा” / इतना कहकर जैसे ही वह खड़ाऊँ पहनने लगा, वैसे ही राजा ने एक खड़ाऊँ उठाली / केशरी राजा को सामने देख हड़बड़ाकर भागा, राजा के छिपे हुए ग्रोद्धाओं