________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा को उत्तम बनाना चाहिए / जो माँ-बाप को देवता समान समझ कर उनकी सेवा करते हैं, उनका जीवन पूर्ण सुखमय व्यतीत होता है। पाठ४ अतिथिसत्कार. बालको भारतवर्ष की अनेक विशेषताओं में से अतिथिसत्कार की प्रवृत्ति भी मुख्य है / अतिथिसत्कार भारतीय सभ्यता का प्राण है / प्राचीन काल में अतिथियों का सत्कार करने के लिये लोग लालायित रहते थे। वे सत्कार का अवसर पाते ही अपने को धन्य मानते थे / वास्तव में अतिथिसत्कार करना मनुष्यमात्र का कर्तव्य है / इसमें प्रेम सेवा सहानुभूति और कर्तव्यपालन का रहस्य कूट कूटकर भरा है / रिना प्रेम अतिथियों का सत्कार नहीं होता, इसलिए अतिथिसत्कार करने वाले में प्रेम होता ही है या होना ही चाहिए / यदि कोई निस्सहाय व्यक्ति भूला- भटका संकटों का मारा तुम्हारे घर आ पहुंचे, तो उसका स्वागत करी ।मीठे वचन बोलो। बैठने को स्थान दो। अपनी हैसियत के अनुसार उसकी पावश्यकताओं को पूरी करदो , सभ्यता से बर्ताव करो। प्रेमभाव दिखलाश्री / अहा! वह कितना प्रमन होगा? उसे अपार अनन्द होगा और तुम्हें सच हृदय से आशीष देगा। यही उसके प्रति तुम्हारी सेवा है / देखो अतिथिसत्कार और सेवा में कितना अधिक सम्बन्ध है! इसी तरह सहानुभूति और कर्तव्यपालन गुण भी अतिथिसेवक में होने चाहिए /