________________ सेठिगजैनग्रन्थमाला डाली गई / क्यों कि उनकी आवश्यकता थी / जिनके नाम की चिट्टियां निकलीं, उन्होंने ईश्वर की प्रार्थना करते हुए समुद्र में अपने प्राण गँवाए / जब चौथे के गिरने का समय आया, तो उसका सगा छोटा भाई,जो उसी डोंगो पर सवार था,हक्कावक्का होकर उठा और भाई के गले से लिपट कर बोला"भैया ! मेरे जीते जो आप नहीं मर सकते / आप मेरे बड़े भई हैं / आपके ऊपर अपने प्राण न्योछावर कर दूंगा, पर आपको मरने न दूंगा। आप विवाहित हैं। आपके ऊपर स्त्री और सब बालबच्चों का भार है। मैं कुंवारा है / अतएव आपके बदले मेरा मर जाना ही अच्छा है"। छोटे भाई की ममतामयी बातें सुन,बड़ा भाई भौंचक्कासारह गया। उसने कहा-" मेरे प्यारे भाई ! तू हठ मत कर / चिट्ठी मेरे नामकी निकली है / अपने प्राणों की रक्षा के लिये दूसरे प्राणियों के प्राण लेना घोर पाप है / मैं यह पाप न करूंगा। फिर तुम्हारे विना मेरा जीवित रहना भी कठिन है / शोक और परतावे के मारे कभी न कभी आत्मघात करना ही पड़ेगा / इसलिये मेरा कहना मान और मुझे मर जाने दे." छोटे भाई ने कहा"आप निश्चय समझिये कि मैं अपनी अखिों के सामने आपको प्राण त्याग न करने ,गा। इतना कहकर उसने जेठे भाई के पैर पकड़ लिए और फूट फूट कर रोने लगा / जेठे भाई ने कहा-" भैया ! मान जा / हठ मत कर / मुझे मर जाने दे। पर छोटे भाई ने उसकी बात स्वीकार न की / अन्त में लाचार होकर उसे उसकी बात माननी पड़ी। छोटा भाई समुद्र में डाल दिया गया / वह तैरना अच्छा - जानता था। इस कारण समुद्र में तेरने लगा। थोड़ी देर बाद