________________ (70 सेठियाजैनग्रन्थमाला करना है / क्योंकि डाक्टरों का विश्वास है कि इस बीमारी के कीटाणु हवा के कणों में उड़ते रहते हैं, और वे ही भोजन पान के साथ शरीर में प्रविष्ट होकर बीमारी पैदा करते हैं। इस बीमारी में पहले पहल दस्त होते और फिर तुरंत कैशुरू हो जाती है। हाथ पांवों में ऐंठन और शरीर में चक्कर आने लगते हैं। पश्चात् चावल के मांड जैसे सफ़ेद दस्त होने लगते हैं / प्यास और गर्मी अधिक प्रतीत होती, शरीर ठण्ढा पड़ जाता और अन्त में, अगर उचित चिकित्सा न की जाय,तो रोगी बेहोश होकर मर जाता है। जहां तक होसके इस रोग की चिकित्सा शीघ्र ही करनी चाहिये। इस बीमारी से बचने का उपाय स्वच्छता है / जय किसी को दुर्भाग्य से इसका शिकार होना पड़े, तो उसे गाँव बाहर रखना चाहिए। ऐसा न करने से बीमारी के कीटाणु, रोगी की कैऔर दस्त में से मक्खियों द्वारा इधर उधर फैला दिये जाते हैं / जिस जगह बीमार रहे,वह हवादार हो स्वच्छ हो और उसके पास ज्यादा भीड़ भड़क्का न हो। उसकी के और दस्त राख डाले हुए बर्तन में लेना चाहिए। और गावके बाहर गड्ढा खोदकर गाड़ देना चाहिए। यदि सावधानी