________________ [78] सेठियाजेनग्रन्थमाला ~~~~~~~~~ माधव महेश ब्रह्मा किधौं, वर्धमान कै बुद्ध यह / ये चिह्न जान जाके चरन, नमो नमो ममदेव वह // 6 // मीठे बचन. काहेको योलत बोल बुरे नर, नाहक क्यौं जस धर्म गमावै / कोमल बैन चवै किन ऐन लगै कछु है न सबै मन भावै / तालु छिदै रसना न भिदै, न घटे कछु अंक दरिद्र न आवै / जीभ कहैं जिय हानि नहीं तुझ, जी सब जीवन को सुख पावै // 7 // विरानीबाल-परस्त्री हुताशन-अग्नि जिन-मत,नहीं भान ऊगत--मुबह में मकास्थ--व्यर्थ खत--पत्र,चिट्ठी. नाहक-वृथा. किन क्यों नहीं. चाव-उत्कंठा,इच्छा. जग्य -यज्ञ. दुहाई--शपथ,कसम. घरी--घडियां. घनेरे-बहुत. हस्ततल--हथेली. चवै-बोले. ऐन-अच्छे