________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा [7] साई अपने चित्त की, भृलि न कहिये कोइ / तब लग मन में राखिये, जब लग कारज होइ / / जब लग कारज होय, भूलि कबहूँ नहिं कहिये। दुर्जन से न कोय, आप सियरे है रहिये / कह गिरिधर कविराय वात चतुरन की ताई। करतृती कहि देत. आप कहिये नहिं साई // साई अपने भ्रान को, कबहुँ न दीजे त्रास / पलक दूर नहिं कीजिये, मदा राखिये पास / / सदा राखिये पास. त्रास कबहूँ नहिं दीजे / त्रास दियो लंकेश, ताहि की गति सुन लीजे॥ कह गिरिधर कविराय, राम सौं मिलि जो जाई। पाय विभीषण राज्य, लंकपति बाज्यो साई॥ विसारिदे भुला दे. सुधि-चिन्ता,विचार, परतीती--विश्वास. तब लग-तब तक. सियरे --शान्त, त्रास-दुःख, तकलीफ. पलक-पल भर भी. लंकेश-लंका का राजा, रावण. बाज्यौ-प्रसिद्ध हुआ, कहलाया,