________________ हिन्दी--बाल-शिक्षा 61] ताजा पता खिलाने के शोड़ दिन दने रात चौगुने बढ़ते है। कीड़ों के होठों में दो छेद होते हैं / वह उन छेदों में से मन निकाल कर, हजारों बार अपने चारों तरफ लपेटला है। लपेटते लपेटते जब एक लच्छा मा बन जाता है, लभ कोड़ों को उबलते हुए पानी में डालकर मार डालते और रेशम निकाल लेते हैं। मी रेशाम से ये चमकीले यन्त्र बनते हैं। बालका. इससे हम जान सकते है, कि रेशम कितनी अपवित्र चीज़ है जब कि रेशम के बनाने में अमख्यात त्रम जीवों का घात होता है, तो अहिंसा को परम धर्म मानने वाले मनुष्यों को कभी भी न पहनना चाहिय / स्यांकि यह एक प्रकार से सजीवों का कलेवर ही है। कपड़ शरीर की रक्षा के लिये पहने जाते हैं। दारीर की रक्षा सती आदि कपड़ों से भा हो सकता है। फिर कार दिखावे के लिये या शोक के लिये अगणित त्रस्त जीयों की हिंसा का घोडा शिर पर लादना कोई बुद्धिमानी नहीं है / प्रश्नावलि. --- मा कमलता है। इस क्यो नही पहनना चाहिये? शम के कोई काहा हाते है।