________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा दुराचार की। किन्तु पीछे जैसी संगति में रहता है वैसा हो जाता है / संगति का प्रभाव अवश्य पड़ता है / अगर हम धर्मात्मा सदाचारी या विद्वान के साथ रहेंगे तो धर्मात्मा सदाचारी या विद्वान ही बनेंगे / यदि मूर्ख और दुराचारी की संगति करेंगे तो वैसे ही हो जायेंगे। प्राचार्य सोमप्रभ ने कहा है- जैसे निर्दयी व्यक्ति धर्म और पुण्य नहीं कमा सकता, अन्यायी यश नहीं पा सकता, आलसी धनोपार्जन नहीं कर सकता, भूख काव्यों की रचना नहीं कर सकता, दया रहित मनुष्य तप नहीं कर सकता, थोड़ी बुद्धि वाला गृढ़ शास्त्र नहीं पढ़ सकता, अन्धा वस्तुओं को नहीं देख सकता, चंचल चित्त वाला ध्यान नहीं कर सकता, वैसे ही सत्संगति मे रहित मनुष्य अपना कल्याण नहीं कर सकता। सत्संगतिसे सब अभीष्ट सिद्ध होते हैं। सत्संगति से सुवुद्धि पैदा होती है, अज्ञान का नाश होता है, और गुणवानों में श्रेष्ठ हो जाता है। सत्संगति से सद्गुणों की बढ़नी होती है। सत्संगति नरक गति और तिर्यच गति में जाने से बचाती है।