________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा पाठ उन्नीसवाँ नारायण की परीक्षा. बालको! तुमने पहले पाठ में कृष्ण की गुणग्रहण करने की आदत के विषय में पढ़ा है। इस पाठ में उनके नीच युद्ध न करने का हाल बताया जाता है / श्रीकृष्ण नेमिनाथ भगवान को बन्दना करके अपने घर आ गये। इधर वह देव कुत्ते का रूप विगाड़ कर, कृष्ण की घुड़साल में पाया और सबके सामने एक उत्तम घोड़ा खोल कर चल दिया। सैनिकों ने उसका पीछा किया / इसलिए वहां बहुत कोलाहल मच गया / यह सब समाचार केशव ने सुना / सभी कुमार चारों ओर दोड़े, किन्तु वह देव दैवी शक्ति से सबको सहज ही परास्त करके धीरे धीरे चलने लगा। इतने में केशव आ पहुँचे। वे आकर बोले-क्या तू मेरा घोड़ा चुरा ले जायगा?देव बोला-हां,मैं घोड़ा हरनेको समर्थ हूँ। अगर तुम में दम है तो मुझे पराजित करके घोड़ा लोटा लो / केशव उसके पौरुष पर प्रसन्न होकर बोले-हे महापुरुष! तू जो युद्ध करना चाहे, वही कर। ऐसा कहकर उन्होंने युद्धों के नाम गिनाना शुरू