________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा दूसरी तरह सहायता पहुँचाना,अनाथ बालकोंको सहारा देना आदि कार्य करना चाहिए / इस प्रकार धन का सदुपयोग करने से धन की यश की और पुण्य की वृद्धि होती है। जो लोग लाखों करोड़ों रुपयों की चिन्ता में रहते हैं, पर पुण्य धर्म कुछ भी नहीं करते, उनका धन व्यर्थ और पाप ही का कारण है। प्रश्नावलि धन का सदुपयोग कैसे हो सकता है वन के लाभ और हानि बनाओ। पाठ अठारहवाँ. बारह भावनाएँ 1 राजा राणावपति, हाधिन के असवार / भरना मथ को एक दिन, अपनी अपनी बार // 1 // 2 दल बल देवी देवता, मात पिता परिवार। मरती बिरियां जीव को, कोइ न राखन हार // 2 // 3 दाम विना निर्धन दुखी, तृष्णाव धनवान। कह न सुख संसार में, सब जग देख्यो छान // 3 // 4 आप अकेला अवतरे. मरे अकेला होय। यों कबहूं या जीवको, साधी सगान कोय॥४॥