________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा [17] और उनके दुर्वचन सहते हैं। बहुत से लोग चोरी डाकेज़नी और हत्याएँ करके कैद भोगते और फाँसी पर लटकते हैं। धन ही के लोभ से बहुतेरे लोग अपने प्राणों से प्यारे बालकों को बेच डालते हैं। कोई 2 निर्दयी लोग अपनी छोटी कन्याओं को अध. मरे बूढ़ों के साथ व्याह कर उन्हें सारी ज़िन्दगी दुखी करके पाप की पोटली बांधते हैं। खटीक कसाई चिड़ीमार धीवर ग्रादि जान बूझकर भी, कि यह महापाप है. धन के लिये हिंसा करते हैं। बहुतेरे भूखों मरने पर वैरागी सन्यासी आदि बनते हैं, जटा बढ़ाते हैं, किन्तु पीछे लक्ष्मी के दाम बन कर गली 2 भटकते और धन-संग्रह करते हैं। यापि यह ठीक है कि भाक्षाभिलापियों को धन विष के समान है, किन्तु संसार के कामों के लिये, तो वह सब से बड़ा महायक है। जिसके पास धन है, जो श्रीमान है उसका सर्वत्र ही सत्कार होता है / उसके उच्छे खल वर्ताव के लिये, जाति के साधारण पुरुप यहां तक कि पंच लोग भी अंगुली नहीं उठा सकते / इसीसे अनेक पुरुष धन के लालच से व्यापार में झूठ बोलते, छल कपट करते, और धात कह कर मुकर जाते हैं / तात्पर्य यह है कि