________________ हिन्दी बाल-गिक्षा [ ] में घुस कर रत्नदीप गया और लोटते समय अपनी कृपणताके अनुसार बहुत से रत्नों की एक गंठड़ी बांधी। बोझ बहुत हो गया था, इस कारगा लक्कड़ तेजी से न चल कर नीचे उतरने लगा। आज लकड़ की यह दशा देख कर सब आपस में कहले लगीं- यदि घर पहचने में देश होगी , तो श्वसुर नाराज़ होगा। अब क्या उपाय करना चाहिए? सेट यह बात सुन कर बो. ला-''डरा मल / तुम्हें जिमका डर है, वही तुम्हारा श्वसुर में स्त्रिया मेठकी बात सुन कर अकचका गई। आखिर उन्होंने निश्चय किया कि इसे समुद्र में पटक देना चाहिये / यदि एसा न किया,तो अवश्य ही यह अपने गुप्त आचरण का भंडाफोड़ कर देगा। यह निश्चय करके उन्होंने श्वसुर को रत्नों की गठडी सहित समुद्र में पटक दिया / प्यारे बालको लाभका आकर्षग बहुत नाव होता है। लोभी हिताहित का विचार नहीं करता। जिसमे अहित हो, यहाँ तक कि जान जाय. एसे लोभ से लाभ क्या? अगर सागर में लोभ न होता, या लोभ की मात्रा कम होती, तो क्या उसकी हम प्रकार दयनीय दुर्दशा होती? कदापि नहीं। इमलिये हम मन को वश में रखना चाहिये / लालसाओं के हाथ का कठपुतला