________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा [4] ज्ञान प्रतिष्ठा तपस्या ऋद्धि जाति कुल ऐश्वर्य बल, इन आठ में से किसी का अभिमान न करो। मायाचार छल कपट करने की मायाचार कहते हैं। माया. चारी को मायावी कहते हैं। मायावी की सची बात का भी कोई विश्वास नहीं करता। शास्त्रों में लिखा है कि मायावरी मनुष्य मर कर पशु पक्षियों में पैदा होता है। पशुओं को कैसे कैसे भयानक कष्ट सहने पड़ते हैं, यह बात तो हा अांखों देखते हैं। यह सब प्रायः पहले जन्म के मायाचार ही का फल है ! जहां माया है, वहां कुशल नहीं / माया, सत्य रूपी सूर्य को अस्त करने के लिये सन्ध्या के समान है / वह दुर्गति में ले जाती है और चित्त की शान्ति तथा सरलता को हर लेती है। इसलिये माया को दर ही में हाथ जोड़ना चाहिये। जो लोग बड़ी बड़ी कोशिश करके मायाचार से दसरों को लगते हैं, वे दसग ही को नहीं ठगते, अपने आपको भीगते हैं क्योंकि वे अपने आपको स्वर्गीय सुखों से और मुक्ति से वंचित करते हैं / अर्थात् जो लोग मायाचार से दसरों को ठगते हैं, उन्हें न तो मुक्ति मिलती है न स्वर्गीय आनन्द /