________________ [10] सेठियाजैनग्रंथमाला विश्वास कराता हूं" / ग्रामीण ने यह बात स्वीकार कर ली। दोनों ने मिलकर वे ककड़ियाँ बाज़ार में बेचने रक्खीं। लोग खरीदने आये। किन्तु उन कक. ड़ियों को देख, सब कहने लगे.. तेरी सब ककड़ियाँ खाई हुई हैं, इन्हें कैसे खरीदें / यह सुनकर ग्रामीण को विश्वास होगया। उसके हृदय में खलबली मच गई कि-हाय! इत. ना बड़ा लड्डू कैसे दंगा? / वह मारे डर के थर थर कांपने लगा। उसने एक रुपया देना चाहा,परन्तु नागरिक ने स्वीकार न किया। इस तरह उसने सौरुपये तक देना चाहा पर नागरिक मंजूर ही न करता था। अब ग्रामीण ने सोचा-हाथी का मामना हाथी ही करता हैं। इस धूर्त ने मुझे छल लिया है / इसे छकाने के लिए दूसरा धूत खोजना चाहिए / निदान उसने एक धृत खोजा और उसने उसे उपाय बता दिया / इसलिये ग्रामीण ने किसी दूकान से एक छोटा सा लड्डू खरीद कर अपने प्रतिद्वन्द्वी को बुलाया। साथ ही सब साक्षियों को भी बुलाया। बुलाकर उस लड्डूको देहली पर रखकर बोला-हे लड्डू आओ! प्राओ !! पर लड्डू न आया।