________________ [20] सेठियाजैनग्रंथमाला शिकार खेलना, 5 वेश्या गमन, ई परस्त्री सेवन, 7 चोरी करना / 1 रुपये पैसे और कौड़ियों वगैरह से मूट खेलना, हार जीत के खयाल से शर्त लगा कर कोई भी काम करना, अफ़ीम या रुई के नीलाम के अंकों पर शत लगाना या रुपये पैसे रखना आदि जूा कहलाता है। जूआ खेलने वाले जुआरी कहलाते हैं / उनका कोई विश्वास नहीं करता। क्योंकि जुए में हार होने से बेईमानी और चोरी करनी पड़ती है / जुआरी की सव निन्दा करते हैं / वे जाति के मुखिया और राजा से दण्ड पाते हैं। तास गंजीफा आदिजुए में ही शामिल हैं। 2 मरे हुए या मार करके त्रस जीव के कलेवर का खाना मांस खाना कहलाता है। मांस खाने वाले निर्दयी हिंसक या हत्यारे कहलाते हैं। 3 शराब भंग चरस गांजा वगैरह नशैली चीजों का सेवन करना मदिरा पान कहलाता है। इनका सेवन करने वाला शराबी भंगड़ी गंजेड़ी आदि बुरे शब्दों से पुकारे जाते हैं / शराबी लोगों को किसी पाप का डर नहीं लगता / उनकी बुद्धि नष्ट होजाती है। घर के लोग भी उन पर विश्वास नहीं करते / उनकी पर लोक में बहुत दुर्दशा होती है।