________________ सेठियाजैनग्रंथमाला रोटी और शाक खाने से ही रोज़े कबूल होजाते हैं / कुरानशरीफ़ यह भी आज्ञा देता है कि हर एक प्राणी पर दया रखनी चाहिए। इस पर बादशाह ने मुसल. मानों के मान्य ग्रन्थ बहुत से उमरावों के सामने पढ़वाये और उनके दिल में भी इसकी सचाई जमादी / पश्चात् उसने हिंढोरा पिटवा दिया कि कल ईद के दिन कोई किसी जीव को न मारे। आइने अकबरी नामकी किताब में लिखा है-"चा. दशाह कहा करता था, कि मेरे लिए कितने सुख की बात होती, यदि मेरा शरीर इतना बड़ा होता कि मांसाहारी लोग केवल मेरे शरीर ही को खा कर संतुष्ट हो जाते और दूसरों का भक्षण न करते / अश्वा मेरे शरीर का एक अंश काट कर मांसाहारियों को खिला देने के बाद यदि वह अंश वापस प्राप्त हो जाता,तो भी मैं बहुत प्रसन्न होता-मैं अपने ही शरीर द्वारा मांसाहारियों को तृप्त कर सकता। इन सब बातों से मालूम होता है कि अकबर बादशाह बड़ा ही दयालु और दयाधर्म पर पक्का विश्वास रखने वाला था / श्रीहीरविजय सूरि के उपदेश से उसने पक्षियों को पीजरों से छुड़वाया था, मच्छीमारों को