________________ सेठियाजैनग्रंथमाला राजा हो गये हैं। उसी नगरी में एक समुद्रदत्त सेठ था। उसकी स्त्री का नाम समुद्रदत्ता और पुत्र का नाम सागरदत्त था / सागरदत्त बहुत ही सुन्दर था / उसे देखते ही, खेलाने को जी चाहता था। उसकी उमर चार वर्षे की थी। समुद्रदत्त का गोपायन नामक एक पड़ोसी था / वह पाप कर्म के उदय से बहुत दरिद्र था। उसकी स्त्री का नाम सोमा और पुत्र का नाम सोमक था। सोमक धीरे धीरे बढ़ कर अपनी तोतली बोली से माता पिता को आनन्दित करने लगा। अब वह तीन वर्ष का होगया था। एक दिन सागरदत्त और सोमक, गोपायन के घर खेल रहे थे / सागरदत्त की मूर्ख माता ने उसे बहुत से गहने पहना रक्खे थे / सागरदत्त उन गहनों को पहिने ही गोपायनके घर चला गया / जय दोनों बालक खेल रहे थे, उसी समय गोपायन अपने घर आया। सागरदत्त के गहने देख कर उसका मन हाथ से निकल गया / घर का दर्वाज़ा बन्द करके, सागरदत्त को एक कमरे में ले गया। साथ में सोमक भी चला गया था। कमरे में ले जाकर पापी गोपायन ने सागरदत्त की गर्दन छुरी से काट ली, और वहीं गड्ढा खोद कर गाड़ दिया।