________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा जिनदेव! म्लेच्छप्रवर भी धार्मिक मही पर हो गए, हत्ताप हिंसा-जनित बहुविधि भूमितल के खो गए। देकर स्वदर्शन पतित-पावन जग उधारा आपने, बन कर सुधर्मादर्श हम सबको सुधारा आपने // (8) हिंसा-निरत जन थे यहाँ मिटता दया का नाम था. देषाग्नि से जलना यहाँ के मानवों का काम था। उस काल में प्रभु! आपने सब को दयामय कर दिया, सबके हृदय में ऐक्य के पीयूप-रसको भर दिया। __पं. रामचरित उपाध्याय. श्रेष्ठतर - बहुत उत्तम. अमरावती-इन्द्र की नगरी. मही-पृथ्वी. उदर-आगार पेट रूपी पर . सुरभित-मुगंधित. मलय-चन्दन. मलयाद्रि-मलय पर्वत. गुण-ग्राम-गुणों का समूह. कल्पतरु -कल्पवृक्ष. कामधुक - कागधेनु. विश्व-संसार. रबल दुष्ट. श्वान कुत्ता. नान-नमक. क्षत-घाव. यवन-गण-म्लेच्छोंका समुदाय. दयाहग-कृपा-दृष्टि त्रय-ताप-तीन ताप