________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा रास्ते श्रीकृष्ण, भगवान नेमिनाथ की वन्दना करने जाने वाले थे, वह उसी रास्ते में अधमरे कुत्त कारूप धारण करके पड़ रहा / उसके मुंह से बहुत ही दुर्गन्ध निकल रही थी / फटे हुए काले मुंह से सफ़ेद दात निकले हुए बहुत ही डरावने मालूम होते थे। __ श्रीकृष्ण उसी रास्ते से चले / रास्ते में उनके आगे आगे चलने वाले पैदल सिपाहियों को वह दुर्गन्ध सह्य न हुई / इसलिए वे अपनी अपनी नाक से कपड़ा लगाकर इधर उधर होने लगे / जय केशव ने नाक मदने का कारण पूछा, तो किसी ने कहा--- "देव एक बदबूदार कुत्ता मरा पड़ा है। नारायण उसके पास गये। उसे देख कर वे बोले-"आह! इसके काले रंग के शरीर में सफेद दांत ऐसे सुन्दर मालूम होते हैं,जैसे अच्छे मरकत मणि के भाजन में मोतियों की पंक्ति बनाई गई हो! इन प्रशंसा को सुनकर देव मोचने लगा-- इन्द्र महाराज का कहना बिलकुल सच है। बालको. महात्मा लोग कभी किसीके अवगुणों पर नज़र नहीं डालते, वे गुणों को ही ग्रहण करते हैं / तुम कभी किसी के अवगुणों को न देखकर गुणग्रहण करना सीखो।