________________ हिन्दी बाल-शित्ता विद्या मम गुण जगत में, और न दूजो कोय / सीखे जे नाके सदा, अति अद्भुत सुख होय॥६॥ करो न रिपुना काहु सों, सब के रहिये मीत / जाते मन प्रमुदित रहे, होयन रिपु की भीत // 7 // रही जोन से देश में, तहँ के नृप की रीति / देख चलो ता चाल को, यह चतुरन की रीति // 8 // सुनि के मब की बात को, प्रथमहिं हूँढ़ो हेत। फिर उत्तर मुखते कहो,यहि विधि राखौचेत॥९॥ बुद्धिमान र के सबै, लक्षम कहौं बखान / जो जग निंदा सों जर, बुद्धिमान सोजान // 10 // घड़ो कौन या जगन में, पूछौं मैं यह बात। ढके दोष जो और के, सो जन बड़ो कहात // 11 // सज्जन जग में कौन है, कह निश्चय करि मोहि / राखि दया जगभल च है, सज्जन जानोसोहि // 12 // काल करे सो आज कर, आज करे सो अष / पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कष // 13 // बान--वाण, तीर निरवान- मोक्ष, मुक्ति नागा--गैर हाजिरी. वित्त----- धन, दौलत. अमित्त-- वेहद. रिपुता-- शत्रुता,वैर प्रमुदित--- खुश भीत-- डर नृप--राजा बहुरि-- फिर