________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला सोच विचार कर करें / विना विचारे काम करने वाला मनुष्य कोई काम पूरा नहीं कर सकता। अगर करे भी तो पीछे पछताना पड़ता है / कहा भी है विना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय। काम बिगारे आपनो,जग में होतहँसाय॥ पाठ 26 वा उपदेशी दोहे। प्रातहि उठि के नित्य नित, करिये प्रभु को ध्यान / याते जग में होय सुख, अरु पावै निरवान // 1 // काहू ते कडुवो वचन, कहौ न कबहूं जान / तुरतमनुज के हृदय में, छेदत है जिमि बान // 2 // पढ़िवे में कबहूँ नहीं, नागा करिये चूक / कुपद लोगमागत फिरहि,सहहिं निरादर भूक // 3 // करन चोरी कीजिये, यदपि मिले यहु वित्त / नर फंस ताके फंद में, पावहिं लाज अमित्त // 4 // मुनि के दुर्जन के वचन,हो रहिये चुपचाप / करी जो समता तासु की, नीच कहावै माप // 5 //