________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (45) पाठ 23 वाँ उपदेशी दोहे। रहे समीप बड़ेन के. होत बड़ो हित मेल / सब ही जानत बढ़त है, वृक्ष बराबर बेल // 1 // जो पहले कीजे यतन, सो पाछे फलदाय / आग लगे खादे कुमा, कैसे आग बुझाय // 2 // क्यों कीजे ऐसोयतन, जासौं काज न होय / परवत पै खोदै कुना, कैसे निकसै तोय // 3 // कहै रसीली बात सो, बिगड़ी लेत सुधार / सरस लवण की दाल में, ज्यों नींबू रस डार॥४॥ उत्तम विद्या लीजिये, जदपि नीच पै होय। पड़यो अपावन ठौर में,कंचन तजत न कोय॥५॥ शील रतन सबसे बड़ो, सब रतनन की खान। तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन॥६॥ भली करत लागे विलय, विलंब न वुरे विचार। भवन बनाक्त दिन लगें, ढाहत लगतन वार // 7 // बहुत द्रव्य संचय जहां, चोर राज भय होय / कासे ऊपर बोजुली, परत कहत सब कोय // 8 //