________________ [12] सेठिया जैन ग्रन्थमाला लस्य-प्रमाद और कृपणता न करनी चाहिए। 117 दुष्ट कलंकी कपटी आदिओं के साथ लेन देन ___ का व्यवहार न करना चाहिए।' 118 राजा गुरु माता पिता पंच और पण्डित के साम्हने झूठ, कपट और बेअदबी न करनी चाहिए / सरलता से सची बात कहनी चाहिए। 119 प्रियजनों, सम्बन्धियों, मित्रों और कुटुम्बियों से व्यापार सम्बन्धी लेन देन न रखना; किन्तु सुख दुःख में शामिल होना, भोजन वस्त्र आभूषणों से सत्कार करना और धर्म का उपदेश देना चाहिए। 120 कुटुम्बियों के साथ विरोध न करना, सब को यथायोग्य राजी रखकर, दुःख में सहायता देनी चाहिए, और मीठे वचन बोलने चाहिए। 121 अपने घर पर कोई सत्पुरुष आवे, तो आदर करना चाहिए। 122 खोटा तौल खोटा माप और झूठी गवाही त्यागनी चाहिए। 123 राजा, तपस्वी, कधि, वैद्य, घरभेदु, रसोइया