________________ (6) पाठ 9 वाँ धर्म। भरतक्षेत्र में शुक्ति नामकी एक नगरी थी। उस नगरी के राजा का नाम शशि था। शशि के छोटे भाई का नाम सूर था। एक दिन मुर ने बन में मुनि को देखा। देखते ही उसने घोड़े से उतर कर वन्दना की और धमोपदेश सुनकर दीक्षा धारण कर ली। सूर ने अपने भाई को बहुत समझायरा वुझाया , पर उसने एक न मानी / वह बोला-" भाई! जो सुख हमें मिला है , उसे छोड़ देना अक्लमन्दी नहीं है"। यह कोरा उत्तर सुनकर मुनिराज चुप हो रहे। जब उन के स्वर्गवास का समय माया , तब प्राहार यादि का त्याग कर दिया / तप के प्रभावसे मुनि महाराज को स्वर्ग मिला। ___ वर्ग में जाकर उन्होंने जाना कि मेरा बड़ा भाई विषयों में मन लगा कर नरक गया है। यह जान कर यह अपने भाई से भेट करने चला। जब शशि ने अपने भाई को आया देखा तो वह गिड़गिड़ाकर बोला-" हे भाई ! मैं बहुत दुखी हूँ। मेरा शरीर