________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला rrrrrrrrrrrr नदी में स्नान कर रहे थे। उस समय उन्हें एक विच्छू पानी में उतराता हुआ दिखाई दिया। मछलिया उसे हैरान कर रही थीं। सेठजी को दया या गई। उन्होंने अपने हाथ में विच्छू को उठा लिया और किनारे की तरफ़ ले जाने लगे / बिच्छू सचेत हो गया। सचेत होते ही उसने सेठजी के हाथ में डंक मार दिया। 'पिच्छू फिर पानी में गिर गया। लक्ष्मीदास के हाथ में बहुत ही दुख हो रहा था। परन्तु उनसे फिर भी न रहा गया। उन्होंने विच्छू को दूसरे हाथ में ले लिया। मला, विच्छू कर छोड़ता था। उसने फिर डंक मारा और पानी में गिर गया / लक्ष्मीदास उदास न हुए, उन्होंने तीसरी बार हाथ में लेकर किनारे की तरफ़ फेंक दिया और उसके प्राण बचा दिये / कुछ लोग किनारे पर बैठे बैठे यह तमाशा देख रहे थे। वे बोले--- " सेठजी! तुम बड़े भोले आदमी हो। जब विच्छू घार बार काटता है, तब क्यों उसे बचाते हो!" सेठजी बोले-"अरे भाई ! विच्छ फा स्वभाव काटने का है, और मेरा धर्म बचाने का है। अगर वह अपनी आदत नहीं छोड़ता तो मैं अपना धर्म कैसे छोड़ दूं? इसके काटने से मैं मर