________________ सुनकर मूठ पड़ाई जे , फूले नाहिं समायें। तेनर निरे गँवार हैं, अन्त समय पछतायें। पाठ ११वाँ पढ़ना। पालको ! लिखना जितना कठिन है , उतना ही कठिन शुद्ध पढ़ना भी है / इसलिए इस पाठ में पढ़ने के कुछ नियम बताए जाते हैं। पढ़ते समय इन बातों कास्याल रखना चाहिए पड़ने में न बहुत जल्दी करनी चाहिए, और न बहुत देरी ही लगानी चाहिए। इसी प्रकार न बहुत ज़ोर से पढ़ना चाहिये और न बहुत धीरे ही / पढ़ते समय सब अक्षरों को खूब साफ बोलना चाहिये। कोई कोई लड़के पढ़ते समय गाने से लगते हैं। कोई कोई एक ही शब्द को दो दो तीन तीन बार बोलते हैं। यह सब दोष हैं। इनसे बचना चाहिए। पढ़ना भी एक तरह का घोलना है। इसलिए जैसे बोलते हैं, वैसे ही पढ़ना भी चाहिए।हस्व दीर्घ अनुस्वार और अनुनासिक का ठीक ठीक उधारण करना चाहिए। पढ़ते समय जहां (,) ऐसा चिह मिले, वहां थोड़ी देर ठहरना चाहिए। ऐसे चिह्न को अल्पविराम