________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा पाठ 16 वाँ बईमानी का धन। किसी नगर में बहुतसे अंधे रहते थे। वे कभीर इकडे बैठते और गप्पें मारा करते थे। उसी नगर में सोने चाँदीका व्यापार करने वाला एक सेठ रहताथा। एक दिन एक अन्धा उस सेठ की दुकान पर आया। वह सेठ से बोला-एक मोहर छने के लिए दीजिये। मैं ने कभी मोहर नहीं छुई / सेठजी सरल स्वभाव के आदमी थे / अन्धों पर दया भी आ जाती है / सेठ ने एक मोहर उसके हाथ में दे दी। अन्धा चालाक था। मोहर अपने कपड़े में बांधली,और उसे छिपाली। जब थोड़ी देर हो गई,तब सेठ ने अपनी मोहर माँगी। अंधा बोला-"सेठजी! मैंने अपनीमोहर तुम्हें देखने के लिए दी थी। अब मैं ने उसे ले ली है। मैं प्राप को यह मोहर नहीं दूंगा, क्योंकि माजीविका के लिए मेरे पास सिर्फ यही पूंजी है। आप इसे गांठना चाहते हैं ? / इतना कहकर अन्धा जोर 2 से चिल्लाने लगा कि "यह सेठ मेरी मोहर लिए लेता है"। अन्धे की आवाज़ सुनकर कुछ लोग इकट्ठे हो गये और सेठ की निन्दा करने लगे / अन्धा यहां से चल दिया /