________________ (23) अभी वहां ही पड़ा है। आप जाइये , और उससे धर्म कराइये। ऐसा करने से मैं यहां से निकलते ही सुखी हो सकूँगा"। यह सुन सूर ने कहा- " अरे भाई ! शरीर धर्म नहीं कर सकता। यदि तू ने पहले धर्म किया होता तो ये दुख न भोगने पड़ते। अब समला से कर्मों का फल भोग"। इतना कह कर वह सूर. देव चला गया। क्योंकि वह और कुछ भी नहीं कर सकता था। , हे बालको ! मनुष्य होकर धर्म का पालन ज़रूर करना चाहिये / जो मौज ही मौज में सारा जीवन खो देते हैं , उनकी दशा शशि के समान होती है। कहा है धरम करत संसार सुख , धरम करत निरवान / धरम पंथ लागे विना , नर तिर्यच समान // 1 // पाठ 10 वा झूठी बड़ाई। एक लोमड़ी बड़ी चालाक थी। उसे कई दिनों से भोजन नहीं मिला था। जब वह भोजन की तलाश में जा रही थी, तब एक पेड़ पर बैठा हुआ कौवा उसे