________________ (20) किसी ऋषि को / एक दिन कोई एक राजा जंगल में गया। यह घूमता घूमता उसी भील के झोंपड़े के पास जा पहुँचा, जहां वह तोता रहता था। राजा को देखकर तोता बोला-हे भील महाराज! कोई मनुष्य इस रास्ते से जा रहा है। इसे लूट खसोट डालिये। राजा सुनकर चला गया और ऋषिकी कुटिया के पास पहुँचा। वहां यह दूसरा तोता रहता था। उस तोते ने राजा को देखकर कहा- हे ऋषि ! वह राजा पा रहा है। उसका आदर-सत्कार कीजिये / ऋषि ने राजा का भादर-सत्कार किया। राजा बहुत प्रसन्न हुया। उसने तोते को हथेली पर रखकर कहा-हे शुक! मैं ने तुम्हारे और भील के तोते के बचन सुने हैं / तुम दोनों में इतना भेद कैसे होगया? तोतापोला-महाराज! यह सब दोष-गुण संगति का है / जो जैसी संगति करता है, वह वैसा ही हो जाता है। . बालको! तुम बुरे लड़कों का साथ कभी न करो। देखो दोनों तोते सगे भाई थे। लेकिन संगति के दोष से एक बुरा और दूसरा भला हो गया ।कहा है संगति कीजे साधु की , हरे और की व्याधि / ओछी संगति नीचकी, पाठौँ पहर उपाधि॥