________________ हिन्दी-बालशिक्षा (29) पाठ 14 वाँ दया। महाविदेह क्षेत्र में अक्षयभूमि नाम का एक नगर था। वहां मेघरथ नामक राजा राज्य करता था। वह बड़ा ही दयालु था। एक दिन इन्द्र उसकी दया. लुता की बड़ाई कर रहा था / बड़ाई सुनकर दो देव उसकी पहीना करने चले। यूगा सा दूसरा पारधी। कबूतर उड़ते उड़ते राजा के महल में आया। वह धर थर कांग रहा था। राजा ने उसकी पीठ पर हाथ फेर कर कहा"बच्चे! डर मत। अब तुझे कोई भी नहीं मार सकता।" इतने में पारधी भी आ पहुँचा / वह आते ही राजा से बोला-"महाराज! यह कतर मेरा है / इसे घड़ी कठिनाई से पकड़ पाया है / यहाँ उड़कर भाग आया है / मेरा घाज़ बहुत भूखा है / जल्दी लौटा दीजिये"। राजा ने कहा-"कबूतर मेरी शरण में प्राया है। मैं ने कह दिया है, उसे कोई नहीं मार सकता / मैं इसे तुम्हें न दूंगा / हा, इसके बदले में और जो कुछ तुम चाहो, सो दे दिया जाय" / पारधी ने कहा- "अगर आप इसे नहीं देते, तो इसकबूतर