________________ (34) सेठियानम्रन्थमाला पाठ १७वा क्षमा। सागरदत्त के भाई को उसके वैरी ने मार डाला। उसकी माता ने सागरदत्त से कहा-- बेटा ! जिसने तेरे भाई को मारा है, उसे तू भी मार डाल / तुझ में शक्ति है फिर क्यों चुपचाप बैठा है ? अपनी माता के वचन सुन कर सागरदत्त ने अपनी शक्ति से बैरी को पकड़ लिया / वह उसे अपनी माता के पास लाया और बोला-रे हत्यारे! पह तलवार तुझे कहां लगाऊँ ? . ___ सागरदत्त की तलवार से वैरी डर गया / वह भयभीत हो कर बोला- शरण में आया हुआ मनुष्य जिस तरह मारा जाता हो, उसी तरह मुझे मार डालिये / सागरदत्त के दिल में दया आगई / वह अपनी मां की ओर देखने लगा। माता भी इतनी निठुर न थी। उसके भी क्रोध को करुणा ने जीत लिया। इसलिये वह अपने पुत्र से कहने लगी-हे पुत्रा जो शरण में आया हो, उसे मारना न चाहिये।