________________ शिक्षा [23] 209 अगर तुम शीघ्र धर्मात्मा बनना चाहते हो तो धर्मात्मा पुरुष और गुरु का विनय करो तथा अच्छा पाचरण करो। 210 निश्चय धर्म की प्राप्ति तब होगी, जय कुटिलता, . कटुवचन और कुमतिका त्याग करोगे। 211 अर्हन्त देव, निग्रन्थ गुरु और केवलिप्ररूपित दयामय धर्म ये तीनों धर्म के व्यावहारिक तत्त्व हैं 212 देव आत्मा, गुरु-ज्ञान और शुद्ध उपयोग-धर्म ये तीनों धर्म के निश्चय-तत्त्व हैं / 213 सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन और सम्यक्चारित्र, इन तीनों का मिलना ही मुक्ति का मार्ग है। 214 धर्म के चार प्रकार हैं-दान, शील, तप और भावना। 215 क्षमा अमृत है, उद्यम मित्र है (क्योंकि उद्यम से दरिद्रता नष्ट होती है) सत्य और शील शरण (निरापद स्थान-आपत्ति से बचाने वाले) हैं और सन्तोष मुख है। 216 सत्संगति परम लाभ, संतोष परम धन, विचार परम ज्ञान और समता परम सुख है। 217 क्रोध विष, मान शत्रु, माया भय और लोभ