________________ [22]] सेठिया जैन ग्रन्थमाला 205 लोग हँसी या क्रोध में कहा करते हैं-तुम्हारा हाथ टूट गया है, क्या तुम अंधे हो? किन्तु ऐसा कहने से चिकने कर्मों का धन्ध होता है। उन्हें भोगते समय छठी का दूध याद आ जाता (भारी संकट पड़ता) है / रो 2 कर भी पल्ला छुड़ाना मुश्किल पड़ता है अतः जो कुछ घोलना हो, विना विचारे मत बोलो क्योंकि तलवार का घाव भर जाता है, पर बोली की गोली का नहीं। 206 उसकी सामायिक मोक्षप्रद होती है जो अपनी या दूसरों की निन्दा और प्रशंसा में समभाव रखता है। 207 जैसे राजा की आज्ञा काभंग करने से इसलोक में दण्डित होना पड़ता है, वैसे ही सर्वज्ञ भगवान् जिनेन्द्र की उत्सूत्र-प्ररूपणा रूप अाज्ञा भंग करने से परभव में अनन्त भव भ्रमण करना रूप दण्ड प्राप्त होता है। 208 अगर तुम अपने इष्ट जनों से प्रेम रखना ___ चाहते हो, तो तुम्हें चाहिए कि, वे जब क्रोध : करें तब तुम क्षमा धारण करो।