________________ 262 जो सुने या ग्रहण करे, उसे शिक्षा देना अच्छा है किन्तु मूर्ख को शिक्षा देना सर्प को दृध पि लाने बराबर है। 263 जिसके लिए दूसरों को उपालम्भ देते हो, वही अवगुण यदि तुम में है, तो पहले अपना अव. गुण दूर करो, फिर दूसरों को कहो। 264 चोर व्यभिचारी धर्मद्रोही राजद्रोही मनुष्य से सदा दूर रहना चाहिए, इन की संगति हानि पहुँचाने वाली होती है। 265 अनेक युद्धों में विजय प्राप्त करने वाले योद्धा की अपेक्षा मनोराज्य पर विजय पाने वाला योद्धा ज्यादा शूरवीर गिना जाता है। 266 श्रीमानों या त्यागियों को संतोष से जो सुख प्राप्त हो सकता है, वह सुख किसी भी वस्तु . से नहीं मिल सकता। 267 धन में, खाने पीने में और मौज शौक में संतोष रखना चाहिए, किन्तु ज्ञान में, दान में . और धर्म में संतोष न रखना चाहिए। 268 जिस से दुःख मिट सके, उसीके सामने हृदय . खोलना (दुःख प्रकट करना) चाहिए। जिस