________________ [3] सेठिया जैन ग्रन्थमाला -HANN 255 जब बादल बरसते और वृक्ष फुलते हैं, तब ; नीचे नमते हैं, इसी तरह समृद्ध होकर जो नन्न बने वही सज्जन गिना जाता है। 28 बरसात विना मांगे बरसता है उसी तरह सजन विना मांगे अपनी धन-सम्पत्ति परोपकार के कामों में खचता है। 257 बड़ी उपाधि पाकर जो गरीबों पर, दया न करे ___ वही शैतान है, शैतान के शिर पर मांग तो उगते ही नहीं है। 258 दान शीलता स्वर्ग की कुंजी है, और दया खानदानी का खजाना है, पत्थरसमान हृदय के साथ खानदानी नहीं रहती। 259 नदी का पानी समुद्र में मिल जाता है, उसी. तरह दातार की दौलत व्याज सहित उसे ही वापस मिलती है। 260 जो बुराई के बदले भलाई करे, अपकार के बदले उपकार करे वही वास्तविक सत्पुरुष है। 261 महापुरुष वही है जो चढ़ती (उन्नति) में गर्व और पड़ती (अवनति) में खेद न करे और शरणागत का त्याग न करे। . .