________________ [1] सेठिया जैन ग्रन्थमाला 166 सब जीवों का कल्याण हो, ऐसी शुभ भावना भानी चाहिए। 167 नवीन 2 शास्त्र वांचने और पढ़ने का अभ्यास रखना चाहिए। 168 पूंजी के अनुसार काम करना चाहिए / 169 लक्ष्मी के होने पर असन्तोष न रखना चाहिए। अपनी पूंजी के चार भाग बनाकर एक भाग से व्यापार, दूसरे भागसे खान पान मकानात गहना आदि, तीसरा भाग भंडार में जमा रखना और चौथा भाग धर्म में खरचना चाहिए। ऐसा करने से सन्तोष और समाधि रहती है। अति तृष्णा और लोभ से दुःख होता है। 170 किसी का उपकार न भूलना चाहिए / 171 जिसने एक अक्षर सिखाया हो, उसे भी गुरु तुल्य समझना चाहिए। 172 अपने मात्मा का दोष खोज कर उसे निकाल डालना चाहिए। 173 विषयासक्त मनुष्य सदा दुःखी रहता है। 174 अपनी संतान को छोटेपन से ही सुसंगति में रखना चाहिए, अच्छी विद्या और धर्म के मूल