________________ (68) सेठियाजेनग्रन्थमाला 28 मुनीम (गुमास्ता) रखते समय देखना चाहिए कि वह सदाचारी हो, जुआरी न हो, सत्यवादी हो, अच्छा लिखा पढ़ा, अनुभवी, हाथ का सच्चा, ईमानदार प्रतिष्ठित, संतोषी, सरलस्वभावी,विनयी, धर्मात्मा और पागड़े जीत हो / ऐसे आदमी को यद्यपि ज्यादा वेतन देना पड़ता है, लेकिन काम अच्छा चलता और मालिक सुख पाता है। 26 दुकान में यदि साझा करना हो, तो साझीदार में ऊपर के सब गुण देख लेना चाहिए। 1. 30 रोकड़ ऐसे आदमी के हाथ में देना चाहिये कि जो विश्वासपात्र, बहीखाते में होशियार, ईमानदार, हाथ का सच्चा, कुलीन, सदाचारी, विनयवान, और इज्जतदार हो / ___31 बहीखाता जमाखर्च साफ और तैयार रखना चाहिये / नामा ठामा चढ़ाना न चाहिये / 32 रोकड़िये को चाहिये कि पहिले लिखे और पीछे देवे। "जो पहिले लिख पीछे देय, भूल परे कागज से लेय" 33 व्यापारी को अपनी हैसियत से अधिक व्यापार नहीं करना चाहिये / जितना सँभल सके और जिसकी अच्छी तरह देख रेख कर सके उतना ही करे / शक्ति से बाहर के व्यापार में लाभ नहीं होता / 34 नफे नुकसान का हमेशा खयाल रखना चाहिये अर्थात्