________________ सेठियाजैनप्रन्थमाला रहती है और उत्तम कामों में अनेक विघ्न और कष्ट अवश्य भाते ही है / जो मूर्ख होते हैं वे ही सदैव सुख चैन से रहते हैं। . 38 अनुभवी ज्ञानियों ने कहा है कि ज्ञान-वैराग्य ही परम मित्र है, काम भोग ही परम शत्रु है, अहिंसा ही परम धर्म है और नारी ही परम जरा है / के हकदार युधिष्ठिर, भीम मादि भाइयों के अपमान करने से दुर्योधन का नाश होगया। 40 पुत्र को वही काम करना उचित है, जिस से पिता राजी हो और वह काम हरगिज न करना चाहिये, जिस से पिता जरा भी नाराज हो / राग से माया और लोभ तथा द्वेष से क्रोध और मान उत्पन्न होते हैं, इसलिए इन क्रोधादि कषायों का क्षय करनेवाले को राग और द्वेष घटाना चाहिए / 42 मनुष्य के लिये धर्म बिना सुख नहीं मिलता। अत: उसे .हमेशा धर्म करना चाहिये / जिस काम में धर्म अर्थ और काम का लवलेश न हो, उस काम को कदापि न करना चाहिये / 43 जो लोग कङ्गाल हैं, जो किसी रोग से पीड़ित हैं और जो किसी मुसीबत की वजह से रंजीदा हैं, उन सब की खबर लो और अपनी सामर्थ्य के अनुसार उनके दुःख दूर करने का उद्योग करो।