________________ (190) संठियाजैनग्रन्थमाला न चले / बारीक चीजों को बहुत देर तक न देखे / चमकती हुई, अपवित्र और दिल बिगाड़ने वाली चीजों को भी बारम्बार न देखे। 50 जिस काम में कुछ भी सफलता की आशा हो, उसके लिए ही उद्यम करना चाहिए,क्योंकि प्यास उसी तालाब से बुझेगी, जिसमें जल हो / . . . 51 आदमी के गुण और औगुण को पहिचान उसकी बोल चाल से होती है / जैसे काग और गैना का भलापन और बुरापन बोली से ही पहचान जाता है। 52 बुद्धिमान को स्त्री, बालक, रोग, नौकर , जानवर, धन, विद्याभ्यास और सजन सेवा की एक क्षण भी उपेक्षा न करनी चाहिये / अर्थात् इन की तरफ लापरवाही न दिखानी चाहिये / 53 मैं और मेरा' इस गुप्त मन्त्र से मोह ने सारे संसार को अन्धा बना दिया है, अर्थात् ममता से मोह बढ़ता है, इस का त्याग करने से ही मोह मारा जाता है; इसलिए मोह घटाने के लिए ममता घटानी चाहिए / 54 अपने कुटुम्बियों के साथ विरोध और स्त्री, बालक बूढ़े और मूर्ख के साथ झगड़ा या विवाद न करना चाहिये / 55 किसी चीज के बेचने या खरीदने में अपनी कंगाली न / दिखावे और बिना मतलब किसी के घर न जावें। 56 किसी के विना पूछे अपने घर की बात किसी से न