________________ लवण भास्कर चूर्ण सांभर नमक पैसा 4 भर संचर नमक पैसा 2 // भर वायविडंग टांक 5 सैंधा नमक टंक 5 धनिया टांक 5 पीपल टांक 5 पीपलामूल टांक 5 पत्रज टांक५ मासेरा टांक 1 कालाजीरा टांक 5 नागकेशर टांक५ चव्य टांक 5 अमलबेत टांक५ कालीमिर्च टांक 2 / / जीरा टांक 2 // , सोंठ टांक 2 // अनारदाना टांक 10 तज टांक 1 / इलायची टांक 9 // इन सब को बारीक पीस कपड़ छांनकर के माशा 4 गायकी छाछ में हमेशा लेने से उदररोग बवासीर संग्रहणी बंदकुष्ट शूल सोजा खांसी साँस आंव का विकार पांडु रोग मंदाग्नि और अजीर्ण को दूर करता है। __ अग्नि-मान्द्य, अजीर्ण, ग्रहणी। साधारण व्यवस्था-अजीर्ण होने अर्थात् भोजन भली भाँति न पचने पर एक आध दिन उपवास करना अच्छा है / पुराने अजीर्ण रोग में नियमित रूप से पथ्यपूर्वक औषध का सेवन करना बहुत आवश्यक है / पुराने अजीर्ण रोगी कभी 2 जीभ की लोलुपता से कुपथ्य कर बैठते हैं, जो चीज उनके खाने के योग्य नहीं यह भी खा बैठते हैं / ऐसी अवस्था में उनके खाने पीने पर विशेष ध्यान रखना चाहिये / पर इतना अधिक ध्यान रखना भी ठीक नहीं, जिससे वे कुछ खा ही न सके। भूखे रहने से दुर्बलता बढ़ती है; इसलिये सबेरे पुराने चावल का भात मूंग की ~~~~~ 1-4 माशे का एक टांक होता है