________________ प्लेग की दवा 1 नीम की कोमल पत्तिया एक पाव, बनफा एक छटाक, कलौंजी दो माशे, इन सब का चूर्ण बनाकर छह माशे से एक तोला तक सुबह-शाम नमक मिले गुनगुने जल से उतार लीजिए / प्लेग की कठिन से कठिन यातना शान्त हो जाती है। 2 मदार का रस 3 तोले, गो-घृत 3 तोले, दोनों को मिलाकर प्लेग के रोगी को पाँच पाँच घण्टे पर दो बार पिला दे ।रूक्षता वेचैनी अथवा प्यास लगने पर केवल गो-घृत पिलावे / बारह से पन्द्र घण्टे के अन्दर दो दो तोले पिला कर पूर्वोक्त दवा . फिर दे दे। इसके बाद पांच पांच घण्टे पर एक एक तोला, फिर छै छै माशे दे / किन्तु घृत अवश्य देता रहे / जल बिलकुल न दे जब तक पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त न हो। गिल्टियों में बची हुई लुगदी (मदार के पत्ते से रस निकाल लेने के बाद बची हुई वस्तु) बांधता रहे ) इलाज़ उग्र अवश्य है, परन्तु लाभ ज़रूर होता है। 3 घी कुँवार के पट्टे को चीर कर उस में रसौत और हल्दी / मिला कर गरम करके बांधे तो गिल्टी पिघल कर बैठ जाय और पुरानी गिल्टी पक कर बह जाती है। कान बहने की दवा 1 बबूल की फलियों का चूर्ण करके कान में डालने से कान का बहना शीघ्र बन्द होता है। 2 मूली को आगमे भून कर उसका रस निकाल कर कान