________________ दाल और शीघ्र पचने वाली थोड़ी तरकारी खाने को देना चाहिये। शाम को, यदि नुकसान न करे तो, पतली रोटी या भात खाया जा सकता है / दूध या मट्ठा, इन दोनों में कोई एक चीज सामर्य के अनुसार नित्य खानी चाहिये / बहुत कडुवा ( मिर्च आदि) और खट्टा न खाना ही अच्छा है। . (1) चिकित्सा-नित्य सबेरे एक पाव या डेढ़ पाव गर्म पानी चाय की तरह दस मिनट तक थोड़ा थोड़ा पीवे / 10 15 दिन इस प्रकार गरम पानी पीने से पुराने अजीर्ण रोग में * विशेष लाभ होता है। लाभ मालूम होने पर दो तीन महिनों तक इस व्यवस्था का पालन करना उचित है / (2) सैन्धवादि चूर्ण-सेंधा नमक, हरें , छोटी पीपल, चित्रक की जड़की छाल, इन सब दवाओं का बराबर हिस्सा ले, कूटपीस कर चूर्ण करे / खूब पतले कपड़े में छान कर चीनी मिट्टी के बर्तन या शीशी में रख दे / दो आना भर यह चूर्ण नित्य भोजन करने के बाद गरम पानी से खावे, तो सहज ही भोजन पच जाता है, भूख बढ़ती है और दस्त भी खुलासा होती है / . (3) पुदीना, सोंफ या सोपाका अर्क आधा छटांक दोनों वक्त भोजन के अनन्तर पीने से अजीर्ण और पेट फूलना निवृत्त होता है। .. सर्दी अधिक रहने पर लवङ्ग, तालकी मिश्री, मुलेठी : और