________________ (78) सेठियाजैनप्रन्थमाला ना चाहिए / जिस घोड़े के कपाल में श्याम रंग का तथा बीच में सफ़ेद दाग वाला किसी पक्षी के प्राकार का चिह्न हो उसे लड़ाई में शत्रु का नाश करने वाला जानकर राजा को उसकी खजाने के समान सावधानी से रक्षा करनी चाहिए / 48 कण्ठ का लक्षण-जिस घोड़े की अयाल (गर्दन के बाल) सुनहरी रंग की झांई मारती गुच्छेदार तथा कोमल हो , उसे उत्तम जाति का अश्व समझो / जिस घोड़े की अयाल कठोर और तेजहीन हो, उसे हलकी जाति का घोड़ा समझो / जिस घोडे के बिलकुल अयाल न हो, उसे धन का नाश करने वाला जान कर दूर से त्याग देना चाहिए। जिस घोड़े की अयाल जुदी जुदी उगी हो, उसे अपने स्वामी के मृत्यु का सूचक समझो / जिस घोड़े की अयाल हरी सुनहरी रंग की माई मारने वाली हो, उसे दैवी घोड़ा समझो, वह घोड़ा लक्ष्मी कीर्ति और कुटुम्ब की वृद्धि करता है। ___46 घोड़े के लांछन का स्वरूप-- जिस घोड़े के अगले दाहिने पाँव के जोड़ में सफेद रंग का दक्षिणावर्त चक्र होता है, वह अपने स्वामी की लक्ष्मी बढ़ाता है, यदि वह चक्र वामावर्त्त हो तो उल्टा फल देने वाला होता है / जिस घोड़े के अगले दाहिने पैर के घुटने पर बालों का गुच्छा होता है, वह कुटुम्ब का नाशक होता है / जिसके अगले दाहिने पैर के जोड़ में मत्स्य के आकार